प्रकाश का परावर्तन

संलम दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा होता है यह आभास होता है तथा दिन क्या साइज का होता है पृथ्वी दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दर्पण से भिंड की दूरी होती है दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब प्रतिबिंब के दक्षिण भाग की भांति दिखाई देता है भीम द लेफ्ट और राइट की भांति दिखाई देता है अवतल दर्पण वास्तविक तथा उल्टा बनाता है जब भीम को दर्पण के अंत निकट रखते हैं तो बीमा भारती सीधा तथा आवृत होता है सीधा वासी से छोटा होता है वास्तविकत जब भी डांस यादों के निकट रखा जाता है तो बनने वाले प्रतिबिंब आभासी सीधा प्रतीत होता है जब उत्तल लेंस को वस्तुओं को बाधित करने के लिए उपयोग किया जाता है तो आवर्धक लेंस कहते हैं अवतल लेंस सदैव सीधा आवाज ही साइज में भी हमसे छोटा पद में मनाते हैं उसे प्रकाश 7 वर्णों का मिश्रण है संसार को हम मुख्य रूप से अपनी ज्ञान इंद्रियों से जानते हैं ज्ञानेंद्र हमें दृष्टि का एक सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान इंद्री है इसकी सहायता से हम पर्वत और नदियां पेड़-पौधे मनुष्य चारों ओर की अनेक वस्तुओं को देखते हैं हम आकाश में बादल इंद्र में छोटे बच्चियों को भी देखते हैं रात्रि में चंद्रमा तारों को देखते हैं केवल नेताओं द्वारा किसी वस्तु को नहीं देख सकते हैं किसी वस्तु को हम तभी देख पाते हैं वस्त्रों में पढ़ने वाला प्रकाश नेत्रों में प्रवेश करता है या वस्तु द्वारा उत्सर्जित अथवा उससे परिवर्तित हुआ हो सकता है है दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा परिवर्तित कर देता है दर्पण से टकराने के पश्चात प्रकाश किरण दूसरी दिशा में परिवर्तित हो जाती है किसी को स्टोर करने वाले प्रकाश किरण को आतिफ किरण कहते हैं पोस्ट के बराबर तन के पश्चात आप वापस आने वाले किरण को परिवर्तित किरण कहते हैं प्रकाश किरण का अस्तित्व एक आदर्श सेकंड हैंड वास्तव में हमें प्रकाशिक संख्या किरण प्राप्त होता है जो किरणों से मिलकर बना होता है

Post a Comment

Previous Post Next Post

Featured Post

No title