भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
वह परिवर्तन जिसमें किसी पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन हो जाता है भौतिक परिवर्तन कहलाता है भौतिक परिवर्तन समानता उत्क्रमित होता है ऐसे परिवर्तन में कोई नया पदार्थ नहीं बनता है मैंने क्षयम हाइड्रोक्साइड 141 है अतः मैग्नीशियम ऑक्साइड एक नया पदार्थ है जो मैग्नीशियम के जलने पर बनता है मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड एक अन्य नए पदार्थ है जो मैग्नीशियम ऑक्साइड को जल में घुलने पर बनता है जब कार्बन ऑक्साइड को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है तो कैल्शियम कार्बोनेट बनता है जिसे चूने का पानी दूधिया हो जाता है चूने के पानी के दूधिया हो जाना कार्बन डाइऑक्साइड की मानक परीक्षा है वह परिवर्तन जिसमें एक या एक से अधिक नए पदार्थ बनते हैं रासायनिक परिवर्तन कहलाता है रासायनिक परिवर्तन को रसायनिक अभिक्रिया भी कहते हैं रसायनिक परिवर्तन हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण है सभी नए पदार्थ रसायनिक परिवर्तन के परिणाम स्वरुप ही बनते हैं उदाहरण के लिए यदि किसी आयत के में से धातु का निष्कर्षण करना हो तो जैसे लोहा इसका से लोहा का तो हमें निश्चित क्रम में रसायनिक परिवर्तन करने पड़ते हैं औषधि भी रसायनिक अभिक्रिया की श्रृंखला का उत्पाद होती है उपयोगी नए पदार्थ जैसे प्लास्टिक और अपमार्जक डिटर्जेंट को रसायनिक अभिक्रिया द्वारा ही बनाया जाता है वास्तव में प्रत्येक नए पदार्थ की खोज रसायनिक परिवर्तन का अध्ययन करके की जाती है रासायनिक परिवर्तन में एक या एक से अधिक ने पदार्थ में भूत होते हैं नए पदार्थ के अतिरिक्त सैनिक परिवर्तन में निम्न घटनाएं हो सकती हैं उस्मा प्रकाश अथवा किसी अन्य प्रकार के विक्रण का निर्मित बाहर निकलना अथवा उनका अवशोषित होना ध्वनि का पन होना गंद में परिवर्तन होना या नहीं गंध बनना है तो रंग में परिवर्तन होना किसी गैस का बनना मैग्नीशियम के फीते का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है कोयले लकड़ी तथा पत्तियों को चलना भी एक रासायनिक परिवर्तन है 
किसी पदार्थ का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है जलने के साथ सदैव उस्मा का उत्पादन होता है पटाखों का विस्फोट एक अन्य रासायनिक परिवर्तन है जब भोजन सामग्री बासी हो जाती है अथवा सर्कल जाती है तो उसमें से दुर्गंध आने लगती है वायुमंडल में ओजोन की परत हमें सूर्य के प्रकाश से उपस्थित हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है ओजोन परत याग्निक विक्रण को अवशोषित कर लेती है और ऑक्सीजन के परिणित हो जाती है ऑक्सीजन ओजोन से भिन्न होती है यदि ओजोन द्वारा पराबैंगनी विकिरण अघोषित नहीं होती तो वह पृथ्वी की सतह पर पहुंच जाती है और अन्य जीवो को हानि पहुंचाती ओजोन कि इस प्रकरण से हमें सुरक्षा प्रदान करने में प्राकृतिक आवरण की तरह कार्य करती है जंग लगने की प्रक्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है लोहा प्लस ऑक्सीजन प्लस जेल कॉल आयरन ऑक्साइड जग लगने के लिए ऑक्सीजन तथा जल जलवाय सभी वस्तुओं पर नियमित रूप से पेंट अथवा गिरीश की परत चढ़ाने चाहिए जिससे जंग लगने से रोका जा सके लोहे पर जिंक की परत चढ़ाने का प्रक्रम यशद लेस थन गेलवेनाइजेशन कहलाता है दोनों की उपस्थिति अनिवार्य है पानी के जहाज लोहे के बने होते हैं उनका एक भाग हमेशा पानी में डूबा रहता है पानी के ऊपर का भाग भी जल की बूंदें गिरती रहती हैं यही नहीं समुद्र में पानी के अनेक लवण भी पाए जाते हैं लवण युक्त जल जंग लगने की प्रक्रिया की दर को बढ़ा देता है अतः जहाजों पर पेंट करने के बाद उन्हें जंग लगने से काफी क्षति होती है यही नहीं जहाजों में लोहे के कुछ भाग को बदलना प्रतिवर्ष आवश्यक हो जाता है स्टैंडर्ड स्टील लोहे कि कार्बन तथा क्रोमियम निखिल और मैग्नीशियम देते धातु मिलकर बनाया जाता है जिसे जंग नहीं लगती है परिवर्तन दो प्रकार के हो सकते हैं भौतिक अथवा रासायनिक साधारण नमक को समुद्र जल के वाष्पन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है इस प्रक्रिया प्राप्त होने वाला नमक सुध नहीं होता है और इसके क्रिस्टल छोटे होते हैं इस प्रकार प्राप्त नमक को कष्ट लो के आकार को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता है यद्यपि किसी पदार्थ की शुद्धता व बड़ी हम आपके क्रिस्टल उनके बिलियन से प्राप्त किए जा सकते हैं यह प्रक्रिया कैनलाइजेशन के लाती है भौतिक परिवर्तन का उदाहरण है भौतिक परिवर्तन में पदार्थों के भौतिक गुणों के कुछ परिवर्तन होते हैं इन पर बर्तन में कोई नए पदार्थ नहीं बनते हैं यह परिवर्तन उत्क्रमित हो सकते हैं रासायनिक परिवर्तन में नए पदार्थ बनते हैं कुछ पदार्थ को क्रिस्टलीकरण के द्वारा उनके बिलों को शुद्ध व स्थान प्राप्त किए जा सकते हैं दिल्ली के कुतुब मीनार के पास एक लौह स्तंभ है जो 7 मीटर से अधिक ऊंचा है इसका 6000 किलोग्राम से अधिक है इसे 600 वर्ष पूर्व से अधिक पहले बनाया गया था इतने वर्षों में भी इस पर जंग नहीं लगी है इसके जंग प्रतिरोधक गुण इसके आप माफ की वजह से विश्व भर के सभी भागों के वैज्ञानिकों के द्वारा इसका परीक्षण किया गया इससे यह जानकारी मिलती है कि 16 वर्ष पूर्व ही भारत में धातु उद्योग की में कितना विकास हो चुका था