- शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद आप क्या पसंद करेंगे - कहीं भी शिक्षण कार्य करना
- जब एक विद्यार्थी और सफल होता है तो समझा जाता है कि - यह व्यक्तिगत असफलता है ।
- किसी विद्यार्थी की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है - आज्ञाकारीता
- आप किसी कक्षा में पाठ पढ़ाते हैं और एक विद्यार्थी विषय से संबंधित एक प्रश्न पूछता है आप क्या करेंगे - कक्षा के बाद प्रश्न का उत्तर देंगे
- एक समान 12 वर्ष की आयु के बच्चे में सबसे अधिक होना संभव है - सम कक्षी के अनुमोदन के लिए बेचैनी
- विद्यालय से विद्यार्थियों के भाग जाने का कारण है - समस्या के प्रति शिक्षकों की निर्दय अभिवृत्ति ।
- विद्यालयों में श्रम की स्फूर्ति का विकास करने के लिए- समय-समय पर विद्यार्थियों को श्रम करने का अवसर देना चाहिए ।
- बाल विकास की परिभाषा का अध्ययन क्षेत्र है जो - किसी बच्चे के संज्ञानात्मक सामाजिक तथा दूसरी सामर्थ्य के क्रमिक विकास के लिए उत्तरदाई होगा ।
- प्राथमिक शिक्षक के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान आवश्यक है क्योंकि - यह बच्चे की व्यवहार को समझने में शिक्षक की सहायता करता है ।
- मानवीय मूल्यों की प्रकृति में सर्वाधिक है अभिव्यक्ति
- अपने विद्यार्थियों को समझने के लिए एक शिक्षक में अच्छी जानकारी होनी चाहिए- बाल मनोविज्ञान की, बच्चों को समझने की, प्रवृत्ति विषय वस्तु के प्रति विद्यार्थियों के मत की।
- निम्नलिखित में से किस स्तर मैं बच्चे अपने सम कक्षी वर्ग के सक्रिय सदस्य बनते है - किशोरावस्था
- मनोचित्रण का संदर्भ है - मन के कार्य का अन्वेषण ।
- बालिका शिक्षा को महत्ता देना उचित है क्योंकि - किसी सामाजिक परिवर्तन के नेतृत्व में केवल बालिकाएं ही समर्थ होती हैं।
- विकाश शुरू होता है - प्रसव पूर्व से
- बहुविध बुद्धि सिद्धांत के अनुसार सभी प्रकार के पशुओं ,खनिजों, और पेड़ पौधों को पहचानने और वर्गीकृत करने की योग्यता कहलाती है - प्राकृतिक बुद्धि।
- अधिकांश व्यक्तियों की बुद्धि औसत होती है बहुत कम लोग प्रतिभा संपन्न होते हैं और बहुत कम व्यक्ति मंदबुद्धि के होते हैं यह कथन.........के प्रतिस्थापित सिद्धांत पर आधारित है - बुद्धि के वितरण
- चिंता अनिवार्य रूप से एक है - संज्ञानात्मक गतिविधि ।
- पियाजे के अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अनुसार वह प्रक्रिया जिसके द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को संशोधित किया जाता है समावेशन कहलाती है ।
- एक शिक्षिका अपने शिक्षार्थियों को सदैव इस रूप में सहायता करती है कि वह एक विषय क्षेत्र से प्राप्त ज्ञान को दूसरे विषय क्षेत्रों के ज्ञान के साथ जोड़ सके इससे ज्ञान के सह संबंध एवं अंतरण को बढ़ावा मिलता है ।
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